अमृत का स्वाद
राम-नाम खंड से अखंड की ओर, विभाज्य से अविभाज्य की ओर, अंत से अनंत की ओर ससीम से असीम की और ले जाता है। राम-नाम में अमृत का स्वाद है, जो संतुष्टि भी देता है और मोक्ष भी प्रदान करता है। अतः हमें भावपूर्वक राम-नाम जपना चाहिए। जिन्हें प्रशंसा करना नहीं आता, तो उन्हें इसे सीखना चाहिए। हमने दूसरों के अच्छे गुणों व श्रेष्ठ कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए, इससे और व्यक्तित्व का भी विकास होता है और हमारा दृष्टिकोण भी सकारात्मक बनता है। सामर्थ्य भी बढ़ती है।
Ram-Nam leads from the block to the unbroken, from the divisible to the indivisible, from the end to the infinite, from the limitless to the limitless. There is a taste of nectar in the name of Rama, which gives satisfaction and also gives salvation. Therefore we should chant the name of Ram with devotion. Those who do not know how to praise, they should learn it. We should praise the good qualities and best works of others, this develops more personality and our attitude also becomes positive. The power also increases.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...