सूर्य जगत् की आत्मा
सूर्य जगत् की आत्मा है, सूर्य के बिना जीवन संभव नहीं है, अस्तु सूर्य तो साक्षात् देव हैं, प्रत्यक्ष देव हैं, जिनकी ऊर्जा से पूरा जगत्, प्राणिजगत् व वनस्पति जगत् ऊर्जस्वित हैं। अस्तु सूर्य की पूजा का विधान है। वायु ही प्राणवायु बनकर हमारी नाड़ियों में प्रवाहित होती है। जल के बिना भी जीवन कहाँ संभव है ? इसलिए नदियों व सरिताओं, सागरों की पूजा की हमारे यहाँ महान परंपरा रही है। यहाँ पूजा से तात्पर्य उन्हें सुरक्षित व प्रदूषणमुक्त बनाए रखना भी है। यही उनकी वास्तविक पूजा व सम्मान है।
The Sun is the soul of the world, life is not possible without the Sun, as such, the Sun is the real God, the visible God, from whose energy the whole world, the animal world and the plant world are energized. Astu is the law of worshiping the sun. Air becomes life air and flows in our nadis. Where is life possible without water? That's why we have a great tradition of worshiping rivers and streams, oceans. Here worship also means keeping them safe and pollution free. This is his real worship and respect.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...