समस्याओं का समाधान
वैज्ञानिकों के उदाहरण हैं, जिनको अपनी समस्याओं का समाधान स्वप्न में मिला। और ऐसे लोगों के भी उदाहरण हैं, जिन्हें नींद में जाने के पूर्व क्षणों का उपयोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए किया और बाद में उन्हें इसका उचित समाधान मिला। भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता के आठवें अध्याय के पाँचवें श्लोक में कहते हैं - अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्। यः प्रयाति सा मभ्दावं याति नास्त्यत्र संशयः ।। अर्थात - जो पुरुष अंतकाल में मुझको ही समरण करता हुआ शरीर को त्यागकर जाता है, वह मेरे साक्षात् स्वरूप को प्राप्त करता है - इसमें कोई भी संशय नहीं।
There are examples of scientists, who found solutions to their problems in dreams. And there are also examples of people who used the moments before falling asleep to find solutions to their problems and later found the right solution. Lord Shri Krishna says in the fifth verse of the eighth chapter of Shrimad Bhagavad Gita – Antakale cha mameva smaranmuktva kalevaram. Yah prayati sa mabhavam yaati nastyatra doubtaha.. That is, the person who leaves the body, remembering Me in the end, he attains my real form - there is no doubt about it.
Solve Problems | Bhopal Arya Samaj, 8989738486 | Court Marriage Bhopal | Legal Marriage Helpline Consultant Bhopal | Validity of Arya Samaj Marriage Certificate Bhopal | Arya Samaj Mandir Shaadi Bhopal | Arya Samaj Pandits for Legal Marriage Bhopal | Court Marriage Helpline Bhopal | Marriage Booking Bhopal | Vastu Correction Without Demolition Bhopal | Arya Samaj Mandir Shadi Bhopal | Arya Samaj Pandits for Pooja Bhopal | Gayatri Mandir Bhopal | Indore Aarya Samaj | Vedic Pandits Helpline Bhopal | All India Arya Samaj | Arya Samaj Marriage Bhopal | Arya Samaj Pandits for Vastu Shanti Havan Bhopal | Gayatri Marriage Bhopal | Marriage by Arya Samaj Bhopal | Arya Samaj Bhopal
लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...