श्रीगणेश
बीज बो देने या पौधा गाड़ देने का नाम ही वृक्षारोपण नहीं है। यह तो प्रथम दिन का आरंभिक कृत्य है। इस श्रीगणेश को ही लक्ष्यप्राप्ति मान बैठने की भूल नहीं करनी चाहिए; जैसे की लोगों द्वारा पिछले दिनों रही है। शिशु को जन्म देकर ही माता-पिता निश्चिंत नहीं हो जाते, वरन उसे वयस्क, स्वालंबी बनने तक बराबर भरण-पोषण करते हैं। यही बात वृक्षारोपणों के संबंध में भी है। पौधों को लगाने के उपरांत उनकी नियमित सिंचाई, गुड़ाई, खाद एवं रखवाली का प्रबंध होना चाहिए और इसकी योजना तथा व्यवस्था उसी का समय बना ली जानी चाहिए; जिस समय कि वृक्ष लगाया गया है।
Plantation is not the name of sowing a seed or burying a plant. This is the opening act of the first day. This Lord Ganesha should not make the mistake of assuming that the goal is achieved; Like people have done in the past. By giving birth to the child, the parents do not become sure, but they feed him equally till he becomes an adult, self-sufficient. The same is true with respect to plantations. After planting the plants, arrangements should be made for their regular irrigation, hoeing, fertilizing and care and planning and arrangement should be made at that time; When the tree was planted.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...