कर्म का बीज
मेले में अनेक चीजें बिकती हैं, पर बालक उनमें से उन्ही को चुनते हैं, जो उन्हें पसंद आ जाती है। जो कुछ उस क्षेत्र में सज-धज के साथ रखा हुआ है; उस सभी को नहीं बटोरते। जिसे रुचिकर या हितकर मानते हैं; उसी के लिए मचलते हैं। यह मचलना मात्र कल्पना के आधार पर हुआ प्रतीत होता है, किंतु वास्तविकता यह है कि भीतरी रुझान ही उसके लिए प्रेरणा देता है। विचारों को कर्म का बीज माना है। बीज ही अवसर पाकर अंकुरित, पल्लवित होता है।
Many things are sold in the fair, but the children choose the one which they like. Whatever is neatly kept in that area; Don't collect them all. considered interesting or beneficial; That's what they walk for. This movement seems to have happened only on the basis of imagination, but the reality is that inner instinct gives inspiration for it. Thoughts are considered the seed of action. The seed itself germinates and flourishes after getting the opportunity.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...