वृक्ष लगाना
जिनके पास अपनी जमीन है, वे उसका एक भाग वृक्ष उगाने, पुष्प खिलाने और शाक उत्पन्न करने के लिए सुरक्षित रखें। मात्र अन्न और नकदी देने वाली फसलें ही पर्याप्त नहीं होगी। जिनके पास पानी जमीन न हो वे सरकारी या दूसरों की जमीन में मालिकों का स्वामित्व स्वीकार करते हुए उन्हीं के लिए अपने परिश्रम से पेड़ लगाएँ, सीचें। पूर्वजों की तथा अपने द्वारा जाने वाले पुण्य-परमार्थ की स्मृति में वृक्ष लगाना या पैसा देकर दूसरों से लगवाने का कार्य बहुत ही श्रेष्ठ और सत्परिणाम उत्पन करने वाला है। बच्चों के जन्म, विवाह आदि शुभ अवसरों की स्मृति चिरस्थायी बनाने के लिए वृक्ष लगाएँ।
Those who have their own land, they should reserve a part of it for growing trees, feeding flowers and producing herbs. Mere food and cash crops will not be enough. Those who do not have water and land, accepting the ownership of the owners in government or others' land, plant trees and irrigate them with their hard work. Planting a tree in the memory of the ancestors and the good deeds done by oneself or giving money to others to plant a tree is very good and gives good results. Plant trees to make the memory of auspicious occasions such as birth of children, marriage etc. permanent.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...