आपसी प्रेम
आजकल परिवारों में अशांति, लड़ाई, झगडे का मूल कारण या मूल जड़ कड़वे व तीखें शब्दों का ही तो परिणाम है। नात्र एक कटु शब्द ही आग का गोला बन जाता है परिणाम स्वरूप वर्षों-वर्षों का आपसी प्रेम नफरत में बदल जाता है और बदले की ज्वाला भड़क उठती है और मानव जीवन बर्बादी की ओर बढ़ जाता है और बदले की ज्वाला भड़क उठती है और मानव जीवन बर्बादी की ओर बढ़ जाता है। गोली की पीड़ा तो एक जीवन ही पीड़ित करती है मगर बोली या शब्दों की पीड़ा तो अनेक जन्मों तक भटका देती है, पीड़ित करती रहती है।
Nowadays, the root cause or root cause of unrest, fighting, quarrels in families is the result of bitter and sharp words. Natra, a bitter word becomes a ball of fire, as a result, years of mutual love turns into hatred and the flame of revenge flares up and human life moves towards destruction and the flame of revenge flares up and human life leads to ruin. The pain of bullet hurts only for one life, but the pain of speech or words distracts for many lives, keeps on making you suffer.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...