कर्तव्यपालन
मनुष्य अपने कर्तव्य का पहले ध्यान रखता है। वह दुनिया की परिस्थिति से पिंड नहीं छुड़ाता, लापरवाह नहीं बनता। वह अपना कर्तव्यपालन करते हुए यह अटूट श्रद्धा रखता है कि उसका अच्छा परिणाम विश्व पर निश्चय ही होगा। वह सोचता है कि दूसरे मनुष्य के व्यवहार का असर यदि उसके मन पर होता है, तो फिर उसके बरताव का असर भी दूसरों पर क्यों नहीं होगा ? जिस दिन हम अनुभव करेंगे कि हम चाहे जिस स्थान पर हों, हमारा जीवन एकाकी नहीं है, उसके साथ सबके जीवन जुड़े हुए हैं; तब हमारा स्वार्थ संयत और परिष्कृत होगा, तब अपना और पराया अलग भासित होने पर भी विरोधी पक्ष न होंगे।
Man takes care of his duty first. He does not get rid of the condition of the world, does not become careless. While performing his duty, he has an unwavering belief that his good result will definitely be on the world. He thinks that if the behavior of another person has an effect on his mind, then why will his behavior also not have an effect on others? The day we will realize that no matter where we are, our life is not lonely, everyone's life is connected with it; Then our selfishness will be restrained and refined, then there will be no opposing sides even if our own and alien are different.
Dutifulness | Bhopal Arya Samaj, 8989738486 | Arya Samaj Shaadi Bhopal. Hindu Matrimony Bhopal | Marriage in Arya Samaj Bhopal | Arya Samaj Ceremony Bhopal | Arya Samaj Marriage Conductor Bhopal | Arya Samaj Shadi Bhopal | Hindu Pandits Helpline Bhopal | Marriage in Arya Samaj Mandir Bhopal | Arya Samaj Court Marriage Bhopal | Arya Samaj Marriage Consultant Bhopal | Arya Samaj Shadi Procedure Bhopal | Hindu Wedding Helpline Bhopal | Marriage Procedure of Arya Samaj Bhopal | Arya Samaj Helpline Bhopal | Arya Samaj Marriage Documents Bhopal | Arya Samaj Temple Bhopal | Indore Aarya Samaj | Marriage Service by Arya Samaj Bhopal | Arya Samaj Hindu Temple Bairagarh Bhopal
लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...