बाल-सुलभ चपलता
बाल-सुलभ चपलता के कारण बचे तो स्वतंत्रता पसंद करते हैं। अभिभावकों की ओर से उन्हें आजादी दिया जाना उतना आवश्यक नहीं, जितना कि उनके भविष्य के प्रति सतर्क रहना। इस दिशा में उदासीनता का दुष्परिणाम स्वयं बच्चों के अभिभावकों को भी भुगतना पड़ता है। बच्चों को आजादी देने के साथ उनकी दिनचर्या के प्रत्येक क्रियाकलापों का निरिक्षण, आवश्यक सलाह, उनकी सूझ-बुझ को प्रोत्साहन देते रहना तथा उनके निर्माण हेतु अपनी रूचि रखना महत्वपूर्ण है।
Child-friendly agility prefers independence if left. It is not so much necessary to give them freedom from the parents, but to be cautious about their future. The ill-effects of indifference in this direction are also suffered by the parents of the children themselves. Along with giving freedom to the children, it is important to observe each and every activities of their daily routine, give necessary advice, encourage their understanding and keep their interest for their creation.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...