चाणक्य नीतिदर्पण
चाणक्य नीतिदर्पण के 15वें अध्याय के दूसरे श्लोक में कहते हैं कि - गुरु शिष्य को सफलता की सुधा पिलाता है; गुरु शिष्य को कीर्ति के कलश थमता है; गुरु शिष्य की प्रसिद्धि की पताका फहराता है; गुरु शिष्य को अमरत्व की राह दिखाता है और गुरु मुक्ति की महिमा से शिष्य का साक्षात्कार कराता है। गुरु एक तरफ शक्ति का स्त्रोत है तो दूसरी तरफ भक्ति का आधार है तो तीसरी तरफ मुक्ति का मंत्रदाता है। सद्गुरु ईश्वर का दिया हुआ वरदान है।
Chanakya says in the second verse of the 15th chapter of Nitidarpan that - The guru gives success to the disciple; The guru gives the disciple the urn of fame; The Guru hoists the flag of the disciple's fame; The Guru shows the disciple the path to immortality and the Guru makes the disciple realize the glory of liberation. The Guru is the source of power on one side, the basis of devotion on the other, and the mantra of liberation on the third side. Sadhguru is a gift from God.
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लोक व्यवहार की कला सनातन धर्म के शास्त्रों में लिखा है कि जैसा व्यवहार तुम दूसरे से अपने साथ चाहते हो वैसा ही व्यवहार दूसरों के साथ करो। जो व्यवहार तुमको अच्छा नहीं लगता वो दूसरों के साथ भी मत करो। यह वाक्य समस्त संसार में बहुत प्रसिद्ध है। इस वाक्य को हर भाषा में लिखा गया है। यह बिल्कुल सही कहा गया है। हर मनुष्य चाहता है कि...
जहाँ गरीब देश की अधिकांश जनता को पौष्टिक भोजन नहीं मिलता, वहाँ इन जनप्रतिनिधियों के लिए इतने शानशौकत के महल और उसके साथ-साथ अनेक लग्जिरियस तामजाम अलग। इनकी यह व्यवस्था शहनशाहों व राजाओं से भी अधिक भड़कीली होती है। सुविधा इनकी, परन्तु नाम देश की प्रतिष्ठा का लिया जाता है। जिस प्रतिष्ठा का ये बहाना...